माँओं के आशीर्वाद और दुआओं के साथ नामांकन के लिए निकल रहा हूँ। यह सीख उनसे ही मिली है कि लक्ष्य चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो अगर हम लगातार कोशिश करें तो जीत ज़रूर मिलती है। और यह भी कि पूरी दुनिया के दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द समझना ही इंसान होने की पहली शर्त है। pic.twitter.com/klsu9WQDah
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) April 9, 2019
کنہیا کمار نے پرچہ نامزدگی داخل کرنے سے قبل کہاکہ ’’ ماؤں کے اشیرواد سے پرچہ نامزدگی داخل کرنے کے لئے جارہاہوں‘‘۔
मौसम ने भी बदलती राजनीति के कदमों की आहट सुन ली है। उसने भी वही जोश दिखाया है जो यहाँ सैलाब बनकर उमड़े समर्थकों में दिख रहा है। चारों तरफ़ तेज़ हवा में लहराते लाल झंडे जनता के संघर्ष का राग सुना रहे हैं। pic.twitter.com/06lo6w7mC7
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) April 9, 2019
अम्मा फ़ातिमा नफ़ीस, जिग्नेश, शेहला, गुरमेहर समेत उन तमाम साथियों का शुक्रिया जो संविधान और लोकतंत्र को बचाने के संघर्ष को मज़बूत करने के लिए बेगूसराय आए हैं। जहाँ देखो वहाँ हमारे साथी लाल झंडों के साथ नज़र आ रहे हैं। एकजुटता का ऐसा भव्य नज़ारा सबमें जोश भर रहा है। pic.twitter.com/0lkW4FAFF9
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) April 9, 2019
राष्ट्रकवि दिनकर की धरती नफ़रत फैलाकर सियासत करने वालों को कभी पनपने नहीं देगी। उन्हीं के शब्दों में – "जब तक मनुज-मनुज का यह / सुख भाग नहीं सम होगा / शमित न होगा कोलाहल / संघर्ष नहीं कम होगा।" pic.twitter.com/KgRuPWUCxX
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) April 9, 2019
پرچہ نامزدگی داخل کرنے کے موقع پر گجرات کے رکن اسمبلی جگنیش میوانی ‘ اسٹوڈنٹ یونین لیڈر شیہلا رشید کے علاوہ جواہرلال نہرو یونیورسٹی سے لاپتہ نجیب احمد کی والدہ فاطمہ نفیس بھی اس موقع پر شامل تھی۔ بیگوسرائے کی گلیاں لال جھنڈیوں سے بھری ہوئی تھیں اور سروں کا سمندر امڈ پڑا تھا۔